“गणेश वन्दना “
देवों के देव शिवसुत हे प्रभु हे सिद्धि विनायक गणेशा
सर्वप्रथम जो पूजे तुझको सर्वसुख पाए वह हमेशा।
हे विघ्नहर्ता हे सुखकर्ता मोदकप्रेमी तेरी जय हो
तव भक्त जो आवे तेरी शरण सदा ही वह अभय हो।
हे विद्यावारिधि गजानन भगवान हे यशस्विन विश्वमुख
सबके कारज करते सिद्ध अरू देते तुम सबको ही सुख।
रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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