गणेश वंदना
गणेश वन्दना
धुन- उड़जा काले कौआ तेरे मुँह विच खण्ड पावां
आओ देव गजानन, करता मैं तेरा सुमिरन।
रोली अक्षत पुष्प चढ़ाकर, करूँ नित्य पूजन।
कांटे सब जीवन के चुन लो, भर दो खुशियाँ सारी।
मेरे जीवन की बगिया में, खिली रहे फुलवारी।
पधारो शिव नंदन, करूँ पूजन वन्दन।
गौरी सुत तुम विघ्न विनाशक, तुम ही हो जग कर्ता।
रिद्धि – सिद्धि के प्राण प्रिये तुम ही सबके दुख हर्ता।
निर्धन को धनवान बनाते, बाँझिन को सुतधारी।
तुम ही सबके कष्ट निवारक, तुम ही हो सुखकारी।
पधारो शिव नंदन, करूँ पूजन वन्दन।
एक दंत तुम दयावन्त हो ,सकल जगत हितकारी।
पूजा अर्चन में होती है, स्तुति प्रथम तुम्हारी।
संकट हर लो पीड़ा हर लो, विपदा मेरी टारो।
दया करो गणपति अब हमपर, बिगड़े काज सँवारो।
पधारो शिव नंदन, करूँ पूजन वन्दन।
आकर बसों हृदय में मेरे, कर दो तन मन पावन।
दर्शन को अँखियाँ हैं प्यासी, ओ गजवदन गजानन।
अनुपम तेरा रूप प्रभो है, महिमा तेरी न्यारी।
मंगलकारी देव आप हो, जाने दुनिया सारी।
पधारो शिव नंदन, करूँ पूजन वन्दन।
अभिनव मिश्र अदम्य