गणेश वंदना
.रक्ता छंद सृजन
मापनी….२१२ १२१ २
श्री गणेश बोलिये।
भक्ति भाव घोलिये।
आरती उतार लो।
देव को निहार लो।
श्री महेश लाल हो।
दीन के दयाल हो।
सूंड़ एक दंत हैं।
ये दयालुवंत हैं।
मूस पे विराजते।
भाग्य को सँवारतें।
रिद्धि-सिद्धि संग में।
मुक्ति की तरंग में।
हे गणेश दान दो।
शुद्ध बुद्धि ज्ञान दो।
हे दयानिधान दो।
भक्ति -भाव मान दो।
आपकी कृपा रहे।
धार प्रेम की बहे।
रोग दोष दूर हो।
त्याग भाव पूर हो।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली