*गणेश चतुर्थी*
“गणेश चतुर्थी ”
धूप-मन्दिर की चौखट पर, दीपों की जब ज्योति जले,
हर दिशा में गूँज उठे, गणपति बप्पा मोरया के गीत चले।
मूषक सवार, मस्तक पर मुकुट, आशीष का वरदान लिए,
संकट हरने को आए विघ्नहर्ता, हर भक्त के द्वार चले।
मिट्टी की मूरत में बसा है, ब्रह्मांड का सारा सार,
तेरी महिमा में सिमटा है, सृष्टि का अनंत आकार।
तू प्रथम पूज्य, तू ही आधार, हर आरम्भ तुझसे ही हो साकार,
सिद्धि-विनायक, कर दो ऐसा, हर यात्रा हो सफल, हर विचार।।
पुष्पराज फूलदास अनंत