गणपति वंदना
कुण्डलिया छंद
गणपति वंदना
1.
शंकर सुत हे विश्वमुख,हे गणराज विशाल।
विघ्न हरो विघ्नेश तुम,हे प्रभु दीनदयाल।।
हे प्रभु दीनदयाल ,आप हैं विघ्न विनाशक।
प्रथम पूज्य गणराज ,आप हैं आत्म प्रकाशक।
बालक से हैं सौम्य ,आप सबके अभयंकर।
चरणों में मम शीश ,करो रक्षा सुत शंकर।।
2.
पूजा इनकी कीजिये ,ये गिरजा के लाल।
सकल अमंगल ये हरें ,गणपति बुद्धि विशाल।।
गणपति बुद्धि विशाल ,आप कर्मों के स्वामी
गिरजासुत हेरम्ब ,गजानन अन्तर्यामी।
भालचंद्र गजकर्ण ,कौन ऐसा है दूजा।
सिद्धिविनायक रूप ,करो गणपति की पूजा।।
3
वन्दन गणपति आपका ,चरणों में है माथ।
सारा जग रूठा रहे ,आप रहो बस साथ।।
आप रहो बस साथ ,भाव सुर छंदबद्ध हों।
वरदहस्त हो माथ ,कर्म सब बुद्धिनद्ध हों।
मंगल यश शुभ-लाभ ,तुम्हीं से गिरजानंदन।
प्रथमपूज्य प्रथमेश ,करूँ चरणों का वंदन।।