गणतंत्र
भारत माँ के लाल एक हो सुंदर गणतंत्र बनाना है ।
हम सबको मिलकर देश में तिरंगा फहराना है ।
जातिवाद धर्म की आड़ में जो बाटे हमें सबक सिखाए
एक सूत्र में बंधकर भारत में गणतंत्र मजबूत बनाना है ।
नफरत क्यों हो सगे सहोदर हम सबकी एक भारत माँ है
ऐसा देश कहाँ मिलता है सुंदरता इतनी कहाँ है ।
भिन्न वेश है भिन्न है वाणी भिन्न धर्म है भिन्न कहानी
हम है एक यही अपनाना है हमें सुंदर गणतंत्र बनाना है।
भूल भेद को अलग पंथ को मिलकर एक हो जाना है ।
पढ लिखकर जागरूक बने लोकतंत्र मजबूत बनाना है ।
चाहत है अमर रहे जय हो तिरंगे का जयघोष लगाना है
द्वेष रहे न दोष रहे है भारत में विकास की गंगा बहाना है ।
आप सभी को गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र