गणतंत्र दिवस
आज फिर साहित्य जाग उठा
कलमें चल पड़ी..
देशभक्ति जगने/जगाने को!
आज फिर लोग जुट गए
देश प्रेम गाने, गानों को..
आज मौसम भी खिल उठा
आज पंक्षी भी चहचहा उठी
सबेरे-सबेरे जाग गए आज लोग भी
रोड का ट्रैफिक भी आज डाइवर्ट है
ये देशभक्ति है या है देशप्रेम?
अच्छा है जो भी है..
मगर दो-बस-दो दिन ही क्यों?
ये ढोकला, ये ड्रामा..
दिखाने को देशभक्ति,
मानने/मनाने को राष्ट्रप्रेम।
यक्ष तमाम प्रश्न खुरेदे गए दिल से
और सदा खुरेदे जाएंगे।
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©️#Brijpal Singh