गणतंत्र दिवस एक महोत्सव
मेरी माता जी का जन्म लगभग नौ दशक पहले हुआ,
श्रीमती चम्पा देवी मेरी माता श्री का नाम है,
मैं उनकी सबसे छोटी संतान जो राष्ट्र में चली आपातकाल समय को चकमा देकर सातवीं संतान के रुप में पैदा हुआ, दो बहन और चार भाईयों से भरापूरा परिवार, मेरे पिता जी श्री नत्थूराम रेलवे में एक छोटे से कर्मचारी थे,
परवरिश का मैं मोहताज नहीं रहा, मेरी माता जी मेरे लिए साक्ष्य दर्शन है, कभी स्कूल नहीं गई, मेरे पिताजी चौथी पास थे, बडी जिम्मेदारियों के बीच मेरी माँ भी मजदूरी करती थी,
भूमिहर होने के बावजूद,
वह खेती क्यारी के काम के साथ-साथ पशुधन खासकर गौ पालन से रसोई को चार चांद लगाती है.
खैर !
अक्सर मेरी माता जी जब अतीत का ऐतिहासिक चित्रण किया करती है.
हमारे लिए गणतंत्रता दिवस एक महोत्सव बन जाता है
आजादी से पहले की छोटी मार्मिक घटनाओं के माध्यम से दयनीय हालात का बखान करती है.
वनो में लकडियाँ काटकर आमदनी और दिहाड़ी से घर खर्च चलता,
आजाद भारत की अंतरिम सरकार और रियासतों में बंटा भारत खुद को स्थापित कर रहा था, मेरा गांव हरियाणा की जींद की रियासत का हिस्सा रहा.
देश की राजधानी के नजदीक होने के कारण हर स्वतंत्रता संग्राम का असर पडा,
जैसे तैसे समय आगे बढा और 26 जनवरी, 1950 को गणराज्य देश बन गया,
देश को एक संवैधानिक ग्रंथ मिला,
1952 में आम चुनाव हुआ.
सरकार का गठन हुआ,
देश को सरकार के रुप में दो सदन और एक स्वतंत्र न्यायपालिका मिल गई.
देश दिन दुगुनी रात चौगुनी चहुंमुखी विकास करने लगा,
सरकारी शिक्षा व्यवस्था
चिकित्सा व्यवस्था
रेल सडक परिवहन यातायात पानी नहरें बिजली संयंत्र विज्ञान प्रोद्योगिकी दूरसंचार उद्योग आयात निर्यात इन सबको सुगम बनाने में..
दिसंबर 28, 1885 को दादा भाई नौरोजी वा ए.ओ,ह्यूम वा दिनशा वाचा ने अखिल भारतीय कांग्रेस नामक संगठन बनाया.
आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चन्द्र बोस
और उनके स्वतंत्रता सैनानियों को विशेष योगदान के लिए पेंशन से नवाजा गया,
मुस्लिम लीग, और हिंदू जनसंघ कई संगठन बने.
कांग्रेस में आजादी से पहले नर्म दल और गर्म दल के रुप में कार्यशैली उभरी.
नर्म दल से महात्मा गांधी जो अहिंसा के प्रणेता हुए.
लाल-बाल-पाल प्रमुख गर्म दल के अग्रणी नेता रहे.
आजाद भारत के लिए जैसे सब अपने आधिपत्य के लिए लड रहे हो.
इस कारण भारत आजाद तो हुआ लेकिन भौगोलिक और राजनीतिक नक्शे बदल गये.
आखरी अंग्रेज वॉयसराय लार्ड माउंटबेटन और अंग्रेजों ने भारत पर आधिपत्य छोडकर,
एक नया भारत को विश्वपटल पर स्थान दिया.
संविधान सभा का गठन
सदस्यों की संख्या
प्रारूप समिति और उसके सदस्य
आखिरकार सभी तत्कालीन समस्याओं के निजात के लिए चर्चा में रखा गया.
और एक के बाद एक भारत को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए पूरजोर लगा दिया.
देश बहुत अधिक असमानताओं के झेल रहा था,
सामाजिक
धार्मिक
वर्ण
जाति
क्षेत्र
भाषा
अर्थव्यवस्था
सभी से पार पा लिया था.
आजकल कुछ सम्प्रदायी बेईमान
भारत की छवि को धूमिल कर है
बेटा !
ऐसा मेरी माँ ने मुझे
शिक्षा के अलावा
बताकर मेरे जीवन में नये आयाम पैदा किए.
हम भारतीयों का महोत्सव गणतंत्रता दिवस
जनवरी 26,
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस