गठबंधन
राजनीति के जंगल में जब चुनावी लहर चली ,
जंगली बिल्ली एक बूढ़े हाथी से मिली ,
जिसके पैर कब्र में लटके थे ,
फिर भी कुर्सी लालसा थी; से गठबंधन का हाथ मिलाया ,
फिर वह पहुंची कुछ टर्राते मेंढकों के पास ;उन्हें अपने साथ मिलाया ,
एक नाकारा बड़बोला हाशिए पर धकेला गया लालची तथाकथित शेर; खुद बिल्ली से हाथ मिलाने खिंचा चला आया ,
बूढ़े लोमड़ का टोंटी चोर लड़का ; बिल्ली दीदी के हाथ
ना आया ,
उसने अपनी टूटी साइकिल के भरोसे मुख्यमंत्री बनने का अजेंडा चलाया ,
मुंगेरीलाल के हसीन सपनों में डूबा हुआ तथाकथित उल्लू राजकुमार राजनीति के दांव पेंच ना समझ पाया ,
हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे का सिद्धांत उसने अपनाया ,
उधर अवसरवादी लालटेन वालों ने अपना राजनीति का पत्ता गुप्त रखने का सिद्धांत अपनाया ,
पेंगुइन ने अपने अस्तित्व के खतरे से उबरने के लिए बिल्ली पर विश्वास जताया ,
जंगली बिल्ली यह भूल गई कि घोटाले के सौ चूहे खाकर ,राजनैतिक हत्याओं में लिप्त उसके चरित्र को जनता कैसे भूल सकेगी ?
केवल गठबंधन करने से क्या वह जनता की आवाज को दबाकर अपने राजनैतिक स्वार्थ की पूर्ति कर सकेगी ?