गज़ल
तुम्हारी याद ये, तन्हाईयां होने नहीं देती।
हमारी सादगी रुसवाइयां होने नहीं देती।।
जमाने भर में चर्चा है तुम्हारी बेवफाई का।
यही बातें मुझे रातों में अब सोने नहीं देती।।
चलो अच्छा हुआ मिल जायेगी अब तो कोई मंजिल।
वगरना मुश्किलें ऐसा कभी होने नहीं देती।।
मुनासिब नहीं है जान -ए-जां तुम को भुला दूं मैं।
यही इक बात ही तुम से ख़फ़ा होने नहीं देती।।
बड़ी बेदर्दी है दुनिया ये तुम भी जान लो” पूनम “।
किसी के जज्बे की कीमत अदा होने नहीं देती।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव पूनम
अयोध्या