गज़ल
गज़ल
221/2121/1221/212
कोई भी देशभक्त न हरगिज़ सहेगा ये।
अब सोच लो जियादा नहीं चल सकेगा ये।
खाते यहां का गाते किसी और के ही गीत,
गद्दारों आओ होश में बेहतर रहेगा ये।
ये राम कृष्ण बुद्ध की धरती है जान लो,
ये स्वर्ग है दुबारा नहीं फिर मिलेगा ये।
अब और सैनिकों की शहादत न हो प्रभू,
ऐसा हुआ तो देश को बेहद खलेगा ये।
है प्यार गर जरूरी करो अपने देश से,
प्रेमी कहां की प्रेमिका से तू करेगा ये।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी