गज़ल
जबसे मिलीं नज़र मेरी हुजूर से।
झरने लगे हैं झोंके दिल में प्यार के।।
गीत मोहब्बत के गाने लगे हैं रोज ही।
उतरे हैं आके दिल में मेरे वो झूम के।।
थी उदास जिंदगी रौनक की कमी से।
खुशियों के कारवां में मेहमां थे दूर के।।
रु ए सादा हुस्न को माना है खुदा हमने।
झुका लिया है सिर ये कदमों में हूर के।।
दिल जला है मेरा मोहब्बत में इस कदर।
बन के रह गए हैं शमां उनकी दयार के।।
मरना भी लाजिमी है उल्फत की राह मे।
रांझा भी मर मिटा था मोहब्बत में हीर के।।
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उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)