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15 Jul 2022 · 1 min read

गज़ल

दर्द दिल जख्म अपने छिपाती हूं मैं।
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दर्द दिल जख्म अपने छिपाती हूँ मैं।
प्यार के कुछ गजल,गीत गाती हूं मैं।

हार दुनियां से मैं मान लूं क्यों भला,
हौसला अपने दिल का बढ़ाती हूं मै।

उसने मुझसे मुहब्बत में वादे किए,
मैं थी नादांन यह सच बताती हूं मैं।

करूणा में शक्ति है क्रोध बेकार है,
इसलिए कोध्र मन से मिटाती हूं मैं।

वह परेशान करता मुझे रात-दिन,
जिन्दगी भर उसे ही मनाती हूं मैं।

वह हकीकत भरोसे के काविल नही,
फिर भी रिस्ता सुनीता,निभाती हूं मैं।

सुनीता गुप्ता

Language: Hindi
407 Views
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