गज़ल
कभी होगा इज़हार हिम्मत करेंगे।
उन्हें दिल ही दिल में मुहब्बत करेंगे।।
नज़र से नज़र की हुई है सगाई,
कभी ख्व़ाब अपने हकीक़त करेंगे।।
भले बेरुखी वो हमेशा दिखाएँ,
खुदा मानकर हम इबादत करेंगे।।
लबों से न कुछ भी उन्होंने कहा है,
कहेंगे अगर बस नसीहत करेंगे ।।
ग़मों को भुलाकर खुशी बाँटनी है,
चलो ज़िन्दगी आज जन्नत करेंगे।।
दुआएँ हमेशा ही किस्मत से मिलतीं,
ज़मा अपने खाते ये दौलत करेंगे।।
मिले जख़्म जो भी मुहब्बत से यारों,
किसी से नहीं पर शिकायत करेंगे।।
उर्वशी कर्णवाल 🙏