गज़ल
गज़ल
समझेंगे् दर्द क्या वो जिसने सहे नहीं हैं!
जाने वो् क्या गरीबी मुफलिस रहे नहीं हैं!
बरसात में टपकता पानी है् जब छतों से,
घर में रहें य बाहर ……..सूखे रहे नहीं हैं!
जो छोड़ कर मे्रा घर ..जाने कहाँ गये हैं,
वो हैं हमारे् अपने ….दिल से गये नहीं हैं!
बेटी बहन पे् डाले जो भी बुरी नज़र भी,
उसको चढ़ा दो सूली किस्से नये नहीं हैं!
सज़दा सलाम मेरा ..उन वीर बांकुरों को,
शरहद पे् जान दे दी ….पीछे हटे नहीं हैं!
हो सामने प्रभू भी फिर भी नहीं दिखेंगे,
बच्चे जिन्हें अगर चे् हंसते दिखे नहीं हैं!
है चीज एक ऐसी बस प्रेम इस जहाँ मेंं,
जिसके बगैर प्रेमी ……बस हुए नहीं हैं!
…… ✍ प्रेमी