गज़ल
रदीफ़- हम हैं।
इन्द्रधनुषी रंग तुम हो सनम,माना खुशरंगों का।
सुन हम भी कम तो नहीं,सलौने ख्वाब से हम हैं।
माना कि तुम समंदर हो इश्क़-मुहब्बत का।
सुन हम भी कम तो नहीं,चाहत-ए-आब से हम हैं।
माना कि तुम हो सनम शान-शौकत का दूसरा नाम
सुन हम भी कम तो नहीं, बहुत नायाब से हम हैं।
माना तुम हो सनम नूर-ए-चमन, उपवन का।
सुन हम भी कम तो नहीं,गुल गुलाब से हम हैं।
माना तुम हो सनम अक्स तहज़ीब का।
सुन हम भी कम तो नहीं,अदबो आदाब से हम हैं।
माना कि तुम हो सनम तृप्त सारी हसरतों से।
हां बस यही है कभी,अबुझ अतृप्त प्यास से हम हैं।
माना तुम हो नीलम आभास खुशनसीबी काम।
सुन हम भी कम तो नहीं, प्यार के अहसास से हम हैं।
नीलम शर्मा