गज़ल:-मै एक हसीन पल हूँ/मंदीप
मै एक हसीन पल हूँ/मंदीप्
दिल को छु जाऊ मै हवा का वो जोक हूँ,
मै बस जाऊ दिल में वो हसीन समा हूँ।
ना निकल सको कभी भी दिल से,
मै वो तुम्हारे ख़्यालो का खूबसूरत नजराना हूँ।
लबो पर एक बार अगर आ जाऊ,
मै वो हँसी का एक हसीन झरोखा हूँ।
महसुस जो करोगे अगर मुझ को कभी,
मै वो प्यार का गहरा समुन्दर हूँ।
रहूँ हमेसा तुम्हारे साथ हर पल,
मै वो खूबसूरत यादो का साया हूँ।
गुलाम परिन्दे को आजाद महसूस करवा दूँ,
मै प्यार का वो आलीसान तहखाना हूँ।
“मंदीप्” रहे हमेसा सब की यादो में ,बातो में,
मै कभी ना ख़त्म होने वाला प्यार का गहरा कुआँ हूँ।
मंदीपसाई