गज़ल(मेरी ख्वाहिशों को भी उड़ने तो दो)
(((((++++ गज़ल +++-))))
**************************
जरा दिल को मेरे संभलने तो दो
ये बेखुद हुआ क्यूं समझने तो दो
लो उनकी गली में हम आ गए
धड़कनें लगा दिल धड़कने तो दो
मिरी आज उनसे मिलेगी नजर
मुहब्बत के रंगों को चढ़ने तो दो
ये पत्थर सा दिल आज सोना हुआ
इसे उनसे मिल कर दमकने तो दो
फ़लक के सितारों को छु लूं जरा
मेरी ख्वाहिशों को भी उड़ने तो दो
खुदा उनमें मुझको तो आए नज़र
मुहब्बत को रूह में उतरने तो दो
मेरे प्यार से अब भी हैं बेखबर
मुझे हाले दिल उनसे कहने तो दो
=====================
” गौतम जैन “