गजल
देख तुझको हमें करार मिला
आज जीवन कहीं उधार मिला
प्यास मिटती गई तभी मेरी
प्यार का जब मुझे खुमार मिला
जब मिला तू नहीं कभी उससे
रोज तेरा उसे इन्तजार मिला
साथ तेरा मुझे मिला प्यारा
जब रचा ब्याह साथ यार मिला
गोद मेरी भरी बहन ने जब
वक्त उस तो यहीं नया हार मिला
ढूढ़ता हूँ कहाँ -कहाँ उसको
वो हमें तो इसी नदी पार मिला
देख लाखों भटक रहे है क्यों
कर पता कोन सा न सार मिला