गजल
गजल
मोत आये तो मेरा हुजूर आयेगा|
मेरा मातम मनाने जरूर आयेगा|
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अश्क छलकेंगे उसके मेरी याद में,
बाद मरने के मुझमें ये नूर आयेगा|
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कब्र पे एक दिन मेरी मुझको यकीं,
सर झुकाने किसी का गुरूर आयेगा|
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कौन थामेगा बहकूँगा जब मैं यहाँ,
जहर पीते ही मुझको सुरूर आयेगा|
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कैदे गम से मैं आजाद हो जाऊँगा,
मेरे मरने का सबको फितूर आयेगा|
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कोई मर जायेगा बेरुखी से मगर,
वक्त के सर पे इसका कुसूर आयेगा|
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होता दुनियां में कोई किसी का नहीं,
खाक होके ‘मनुज’ ये शऊर आयेगा|