गजल
ख्वाहिशों! इतनी जिगर में रोशनी हो जाने दो|
दौरे नौ में भी मुझे बस आदमी हो जाने दो|
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हँस रहे झूठी हँसी सब खुस्क सा माहोल है,
अब सितारों रो दो, सुबहा शबनमी हो जाने दो|
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घुट रहा है बज्म में दम ये सियासत छोड़ दो,
कुछ मिले दिल को सुकूँ अब शायरी हो जाने दो|
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कल के सीने में छुपा क्या कल ही देखेंगे मगर,
आज से तो ये मुकम्मल दोस्ती हो जाने दो|
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कुछ भी मुश्किल तो नहीं है आदमी बनना ‘मनुज’,
हो चुका है जो गुनाह वो आखिरी हो जाने दो|