गजल
खुद से खुद को बचाना, ठीक नहीं।
दूर अपनों से जाना, ठीक नहीं।।
है खतरनाक, मौसम-ए-बारिश।
इस तरहा भींग जाना, ठीक नहीं।।
हैं चांद के भी, यहां पर दुश्मन।
तेरा यूं जगमगाना, ठीक नहीं।।
कर दे रुसवा न, दर्दे दिल तुझको।
इतने आंसू बहाना, ठीक नहीं।।
कुछ तो ले ले, तू काम होंठों से।
यूं ठहाके लगाना, ठीक नहीं।।
कुछ न मिलता, बगैर मेहनत के।
भाग्य को आजमाना, ठीक नहीं।।
नफरतें इस कदर हैं, पहले से।
अब और बरगलाना, ठीक नहीं।।
-विपिन शर्मा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबा 9719046900