गजल
खयाल ख्याल में यूँ ही नही गिला करते
तसव्वुरात के पर्दे नही हुआ करते।।
ये जिंदगी जो सताने लगे खुदी को जब
यूं जिंदगी के ब्यानात नही कहा करते
कहेगें कैसे हैं गुजरी फटी सी चादर में
निगहबां है खुदा फिर नही गिला करते
है वास्ता यूँ गमो से ओ जिंदगी तेरा
तो बेख्याली में भी गम नही सहा करते
बनाके बैठे उसे गीत साँस अपनी हम
वो बेबफा जो किसी के नही हुआ करते।।
संगीता गोयल “गीत”