** गजल **
आज कुछ शब्द बेनाम लिखूँ ।
अंतर्मन में उठते संग्राम लिखूँ ।
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शब्दों से उलझन सुलझाकर,
सत्य अविरल अविराम लिखूँ ।
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कर के पैनी धार कलम की
धूर्तों का जो होगा अंजाम लिखूँ ।
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बनकर अंगार या फूल बरसे
पर जवाब तो सरेआम लिखूँ ।
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उठाकर कलम करूँ न विश्राम
कुछ संदेश सभी के नाम लिखूँ ।
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कुछ तेरी या मेरी,नई या पुरानी
जो है खास,नहीं कोई आम लिखूँ ।
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करके प्रणाम ईश को ” पूनम ”
ले स्वतंत्र रूप,नव आयाम लिखूँ ।
पूनम झा
कोटा राजस्थान