गजल
चाहत में किसी को ठुकराया नही जाता है
केवल रूह से रूह को मिलाया जाता है
सदियों से जमाना चाहत का दुश्मन रहा है
हर रोज चाहत को नापाक बताया जाता है
जाहिल,आवारा,लफ़ंडर,मवाली क्या क्या
हर आशिक पर ये इल्जाम लगाया जाता है
तुमसे दूर मैं दीपक की बात्ती सा जलता हूँ
तुम्हीं बताओ अब कैसे दर्द छुपाया जाता है
चाहत में वो नीड छोड़कर उड़ जाना पड़ता है
जहाँ सारे बचपन का हर पल बिताया जाता है
हमेशा जमाने मे मोहबत के हर आशियानों को
हर रोज तिनका तिनका कर जलाया जाता है
क्या हाल निकाला है शियासत ने मंदसौर में
जहाँ किसान का खूँ पानी सा बहाया जाता है
शियासत ने अपनी सारी तिजोरियां भरली है
तभी तो किसानों को जिंदा जलाया जाता है
नेता सारे देश की जनता का खून चूस गये
तभी तो खटमल का हक दबाया जाता है
जवान और किसान दोनों ही चीख रहे है
देश मे माल्या जैसो पर धन लुटाया जाता है
लाखो बच्चे कपड़ो बिना सड़को पर डोलते है
लेकिन मस्जिद में कई थान चढ़ाया जाता है
सीढ़ियों पर बैठे बच्चे दूध को तरसते है
पर मंदिरों में कई मन दूध बहाया जाता है
अब माहौल बिल्कुल बदल सा गया है देश का
यहाँ नवाज से नागों को गले लगाया जाता है
वहाँ जाकर किसी ने उस घर केक खाया
उसी के द्वारा उसे आतंकी बताया जाता है
सारी दुनिया से कहता है वो आतंकी मुल्क है
मगर उस मुल्क में छुपकर क्यो जाया जाता है
कल एक की जगह दस को मारने की बात की
आज 25 के मरने पर वो चुप बैठा जाता है
उसकी साड़ी क्या इतनी कीमती है ‘ऋषभ’
जिसे चुकाने बेटों का खून चढ़ाया जाता है