“”””””””””””गजल””””””””””
तू ही मेरी सुबह, तू ही शाम है।
हर धड़कन मिरी अब तेरे नाम है।।
नाम लेते है मुझे देख सब तिरा।
जिक्र ए इश्क मेरा अब खुलेआम है।।
यूँ ही कह दिया लाख टके की बात।
दिल का मेरे, दिल तेरा.. मुकाम है।।
सजदा ए सर झुका, मुस्कराते कहा।
सिद्दत ए इश्क अब मेरा सलाम है।।
बेकार नही जा सकती दुवाएँ जय।
इबादत पे आज भी एहतराम है।।
संतोष बरमैया “जय”
कुरई, सिवनी, म.प्र.