मैंने कहा जो यार से, कितना बदल गया
मैंने कहा जो यार से, कितना बदल गया
कहने लगा कि वक्त के ,साँचे में ढल गया
नजरें मिली जो उनसे मेरी ,इत्तफाक से
मुरझाया कबसे दिल था,फ़ूलो सा खिल गया
वक्त से भी तेज है,रफ्तार यार की
हम आज भी वहीं हैं, वो आगे निकल गया
वैसे तो मैं भी पेड़ था, दरिया किनारे का
तूफान बहुत तेज था, फिर भी सम्हल गया
”योगी”हसीन शक्ल पर ,न एतवार कर
फूलों सा जिस्म दिल उन्हें, पत्थर सा मिल गया