गजल
“हर पल गुजर रहा है,अब धीरे-धीरे
कोई इश्क कर रहा है,अब धीरे-धीरे,
बादलो बरस जाओ जरा आज फिर
कोई याद कर रहा है,अब धीरे-धीरे,
वो यादो का समुन्दर फिर उमड रहा
दुर जा रहा जैसे कोई,अब धीरे-धीरे,
ना बातो से दिल बहलाओ आज तुम
इक पल करीब तो आओ,धीरे-धीरे,
क्यु रुठे हुये हो तुम बडी मुद्दतो से
मान भी जाओ जरा तुम,अब धीरे-धीरे
तुम्हारी रुह है,ये तुम्हारा ही इश्क है
कल्पो से भटकती,तुम्हारी चाह है
जगा दो इश्क फिर,या मिटादो मुझे
समाने लगी तु मुझमे,अब धीरे-धीरे”