गजल
“नहीं मांगु खुदा से मै और भी कुछ
जो इक बार गर तु मुझे मिल जाये ,
और भी हंसी हो जाये ये तराने फिर
जो तेरे लबो के यहां गीत मिल जाये,
मुकम्मल हो जाये ये सारी ख्वाइशे
जो हकीकत मे कभी ,तु मिल जाये,
बसती है तुझमे ही तो जन्नत मेरी
तु मिले तो मुझे जन्नत मिल जाये ,
ना गिले शिकवे करुंगा मै खुदा से
इस तन्हाई मे तेरासाया मिल जाये,
छोड दु इस नापाक जहां मे आना
गर जन्मो तक तेरा संग मिल जाये”