गजल 2122 2122 212 पर
मतला
रात से है मोगरा महका हुआ ।
गंध से लगता सनम बहका हुआ।**0**
अशआर
आपसे मुझको छुपाना क्या भला।
आपके कब सामने पर्दा हुआ। 1
कौन लिखता है यहाँ अहसास को।
बस किसी की बात पर लिखना हुआ।*2*
हम अकेले खेलते है खेल को।
भीड़ में तो खेल क्या पूरा हुआ।*3*
नर्म अहसासों की उडती धज्जियां।
हल दिलो का कब यहाँ मसला हुआ।*4*
गर्म मौसम यूँ अचानक हो गया।
आज सूरज लग रहा बदला हुआ।*5*
प्यार के सोदे में हानी क्या नफा।
प्यार तो नायाब ही तोहफा हुआ।*6*
घर घरोंदे में उलझ इतना गई।
मौज मस्ती दूर का किस्सा हुआ।*7*
व्यस्तता इतनी मुझे उलझा गई।
दीप से भी दूर उजियारा हुआ।*8*
बांहों में भरकर मुझे तू प्यार कर।
प्यार मेरा प्यास का दरिया हुआ।*9*
प्यार उनका तू मुझे लौटा खुदा।
प्यार उनका बेंक का खाता हुआ।*10*
आपका यह प्यार मुझको क्या मिला।
आगया घर राह से भटका हुआ।*11*
बेवफाई बेचकर जो भी गया।
वो वफा का यार रंगीला हुआ।*12*
मार पत्थर की जवानो पर पड़ी।
होश नेताओ का भी खश्ता हुआ।*13*
सिक रहा है आदमी गर्मी से यूँ।
देखकर लगता हे ज्यो भुरता हुआ।*14*
फेंकने वालो ने फेंके बम यहाँ।
आदमी फिर रह गया पिसता हुआ।*15*
छोड़ कर बेटी चली अपना ही घर।
रह गया बाबुल वहाँ रोता हुआ।*16*
आसमां से गाज नित गिरती रही।
जा रहा फिर आदमी फंसता हुआ।*17*
रात मुझसे कह रही दिन भूल जा।
लेट मेरी गोद में हँसता हुआ।*18*
सब्ज़ पत्ते का शजर मिलता नही।
बॉनजाई पौध का जलवा हुआ। 19
भागते सपनों से डरकर क्यों भला।
ठान ली जिसने सपन पूरा हुआ।*20*
टूटकर सब चाहते है यार को।
प्यार देखो किस कदर सस्ता हुआ।*21*
लोग जीते है यहाँ निज स्वार्थ में।
इस जगत को इसलिए छाला हुआ।*22*
चाँद से जलने लगी अब चांदनी।
चाँद भी जल जल के अब काला हुआ।*23*
काम पूजा है सुनो ‘मधु ‘जान लो।
काम से ही आदमी राजा हुआ। 24
****-*-**मधु गौतम