गजल
गजल
हम तेरे नजरों से कभी घायल हुए
ओ मेरे सितम है दुनिया से कहते फिर रहे
हम मिले भी तो क्या मिले 2
वही दूरियां
वही फासले हुए
हो गए सब शिकवे गिले
हांथ पैर सुन्न और चेहरे हुए पीले।
धड़कती तन और कांपती बदन
आ गले मिल मेरे सजन।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
जिला दुर्ग छत्तीसगढ़