गजल
आंसू है,गम है,यास दिले दर्द मंद है।
जो कह न सके लफ्ज़,लिफाफे में बंद है।
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रखते नही हैं ख्वाहिशें गिलमानो हूर की।
मैं उसको हूं पसंद वो मुझको पसंद है।
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भूचाल सियासत में मचाएंगे अब चुनाव।
जिन्नात आज कल कई बोतल में बंद हैं।
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साया फिगन है सर पे मेरे दस्ते वालीदैन।
उनका वजूद है तो मेरा सर बुलंद है।
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आंसू है,दिल है,दर्द है दस्तार है”सगी़र”
महबूब मेरे,तुझको बता क्या पसंद है।