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6 Dec 2016 · 1 min read

गजल

कैसे कैसे दौर चले है
न्याय मांगने चोर चले है

हंसो की झीले हथियाने
कुछ कौअे कुछ मोर चले है

चीर हरण तक चुप बैठे थे
अब लिये जुबानी शोर शोर चले है

जो रातों के कातिल ठहरे
वो लेने स्वर्णिम भोर चले है

जिन पर कानूनों की बंदिश
वो संसद की और चले है ●

Language: Hindi
220 Views
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