Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2023 · 1 min read

गजल

मँडरा रहे काले घने बादल भयानक युद्ध के,
हर ओर बढ़ते जा रहे विकराल सायक युद्ध के।

मल्लाह कश्ती थामकर तटबंध सारे खोल दो,
विश्वास पर कायम नहीं हैं आज मानक युद्ध के।

आतंक की ज्वाला भभककर फैलती ही जा रही,
महँगे दिनों दिन हो रहे खर्चे विनाशक युद्ध के।

तिल भर न धरती कम हुई विस्तृत कभी न हो सकी,
गठजोड़ में फिर भी पड़े हैं देश मारक युद्ध के।

मजबूर हैं इंसान सरहद से पलायन को सहज,
हथियार के सरताज ही बनते सहायक युद्ध के।

जगदीश शर्मा सहज

1 Like · 118 Views

You may also like these posts

विरह्नि प्रियतमा
विरह्नि प्रियतमा
pradeep nagarwal24
मोहब्बत में कब तक रुलाते रहेंगे।
मोहब्बत में कब तक रुलाते रहेंगे।
Phool gufran
" दर्शन "
Dr. Kishan tandon kranti
पोलियो अभियान
पोलियो अभियान
C S Santoshi
यक्षिणी-13
यक्षिणी-13
Dr MusafiR BaithA
माता, महात्मा, परमात्मा...
माता, महात्मा, परमात्मा...
ओंकार मिश्र
रंगों का महापर्व होली
रंगों का महापर्व होली
इंजी. संजय श्रीवास्तव
सियासत हथियाने की दौड़ में
सियासत हथियाने की दौड़ में
Lekh Raj Chauhan
समय चक्र
समय चक्र
Sudhir srivastava
Of Course, India Is Not Communal
Of Course, India Is Not Communal
Santosh Khanna (world record holder)
बहुत सी बातों को यूँही छोड़ देना चाहिए बिना किसी सवाल जवाब न
बहुत सी बातों को यूँही छोड़ देना चाहिए बिना किसी सवाल जवाब न
पूर्वार्थ
#सियमात लौटाओ तो कभी
#सियमात लौटाओ तो कभी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
हर दिल-अजीज ना बना करो 'साकी',
हर दिल-अजीज ना बना करो 'साकी',
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किस क़दर बेकार है
किस क़दर बेकार है
हिमांशु Kulshrestha
From dust to diamond.
From dust to diamond.
Manisha Manjari
जिंदा हूँ अभी मैं और याद है सब कुछ मुझको
जिंदा हूँ अभी मैं और याद है सब कुछ मुझको
gurudeenverma198
3196.*पूर्णिका*
3196.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रोटियों से भी लड़ी गयी आज़ादी की जंग
रोटियों से भी लड़ी गयी आज़ादी की जंग
कवि रमेशराज
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
Kanchan Khanna
पात्रता
पात्रता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हर कदम प्यासा रहा...,
हर कदम प्यासा रहा...,
Priya princess panwar
याद रख कर तुझे दुआओं में ,
याद रख कर तुझे दुआओं में ,
Dr fauzia Naseem shad
अभिलाषाएं नव जीवन की
अभिलाषाएं नव जीवन की
Shweta Soni
इस
इस "खोज" में ना उलझें, कि "भगवान" हैं या नहीं, "खोज" यह रखें
ललकार भारद्वाज
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
Suraj kushwaha
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
अंधकार जो छंट गया
अंधकार जो छंट गया
Mahender Singh
हो मुखर
हो मुखर
Santosh kumar Miri
24. O Woman !
24. O Woman !
Ahtesham Ahmad
धूल के फूल
धूल के फूल
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...