गजल
#गजल#
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नहीं चाहता जो कराती, बता दे,
अलग राह तू क्यूँ चलाती बता दे?1
बहुत दूर पीछे रखा था नशा को,
मगर बास घर से ही’ आती,बता दे।2
नियम की नसीहत पिलाता रहा मैं,
री’ धज्जी उसीकी उड़ाती,बता दे।3
जिधर से कभी मुँह फिराकर चला था,
उधर ही मुझे तू चलाती ,बता दे।4
अरी मनचली, दिलजली देख मत- बल,
कभी मेरी’ इज्जत बचेगी,बता दे?5
@(कुर्सी पर विराजमान शख्स का दर्द)