गजल सगीर
करते हैं शबो रोज तमाशा मेरे आगे।
चलता नही है ज़ोर किसी का मेरे आगे।
❤️
हिर्स ओ हवस का नही कायल है मेरा दिल।
चलता नही किसी का भी सिक्का मेरे आगे।
❤️
मेरे कलम में ऐसी है ताक़त की सुनो बस,
चांदी न कोई सोना न हीरा मेरे आगे।
करते हैं शबो रोज तमाशा मेरे आगे।
चलता नही है ज़ोर किसी का मेरे आगे।
❤️
हिर्स ओ हवस का नही कायल है मेरा दिल।
चलता नही किसी का भी सिक्का मेरे आगे।
❤️
मेरे कलम में ऐसी है ताक़त की सुनो बस,
चांदी न कोई सोना न हीरा मेरे आगे।