गजल (रवानी)
वतन के लिए अब रवानी कहां है।
शहीदों के जैसी जवानी कहां है।।
मिलती नहीं अब इज्जत किसी को।
आंखों में पहले सा पानी कहां है।।
काम आ ना सके वक्त पर यार मेरे।
अहसान है अब मेहरबानी कहां है।।
होगी वजह तो अदाबत की दिल में।
बिना बात तकरार होती कहां है।।
रहे हम अकेले जिंदगी के सफर में।
चले साथ लेकर वो साथी कहां है।।
लगी अब है दिखने नफरत दिलों में।
मोहब्बत की दिल में निशानी कहां है।।
हासिल हुआ क्या निराशा से तुझको।
सामने हौसलों के परेशानी कहां है।।
सलीका सिखाती थीं जीने का हमको।
दादी नानी के जैसी कहानी कहां है।।
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उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)
9479611151