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28 Mar 2017 · 1 min read

गजल / मद में नहीं…..

गजल / दिनेश एल० “जैहिंद”

मद में नहीं आनंद तो सादगी में है
सादगी का मोल बड़ा ज़िंदगी में है !!

यूँ तो पैसे की क़ीमत कुछ भी नहीं,
बढ़ जाते मोल हाथ की तंगी में है !!

शांति कहाँ लड़ाई-झगड़े-घृणा-द्वेष में,
सुकून तो बस दिल की दिल्लगी में है !!

जीवन के सच्चे सुख हैं ना इस उम्र में,
मिले जो बचपन के साथी-संगी में है !!

ख्वाहिशों से दूर तमाम ज़िंदगानियाँ,
सुकूं से कटतीं तमाम रातें झुग्गी में हैं !!

####
दिनेश एल० “जैहिंद”
30. 11. 2016

304 Views
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