गजल:- दर्दे दिल जो उन्हें हम सुनाने लगे
दर्दे दिल जो उन्हें हम सुनाने लगे…!
उनको हर बात में सौ फसाने लगे…!
ऐसे जुगनू जिन्हें था सितारा किया..!
फ़र्ज़ का पाठ हमको पढ़ाने लगे…!!
मिल गयी उनको शोहरत जरा सी तो वो…!
खुद को साहब खुदा ही बताने लगे…!!
किस कुयें में छुपोगे ऐ जरदार तूँ…!
हम जो एहसान अपने गिनाने लगे…!!
आ गये तंग हम इस जमाने से लो..!
अब तो मिटटी हमारी ठिकाने लगे…!!
ये अलग बात सरदार पर आ गया…!
अपनी चाहत थी तू आके शाने लगे…!!
आईना जो बने हादसा ये हुआ…!
संगसारों के साहिल निशाने लगे…!!