गजल: जो कर सको तो मेरे नाम एक शाम करो
तमाम उम्र न मांगी कि मेरे नाम करो
जो कर सको तो मेरे नाम एक शाम करो !!
सनम न समझो मगर हमसे अजनबी जैसे
हुजूर जब भी मिलो तो दुआ सलाम करो !!
वो आंधियों से बगावत पे आ गया है चराग
उसे बचाने का कोई तो इन्तजाम करो !!
दिलो से यार मिटाओ ये नफरते सारी
जो दूरियॉ है सो मिलकर उन्हैं तमाम करो !!
वफापरस्त जिगर हूं सो धडकनो मेरा
अदब के साथ मेरा जान एहतराम करो !!
उदास बैठ के साहिल न हो सकेगा कुछ
लहर लहर का चलो हक़ में अब निजाम करो !!
ए. आर. सहिल