गजल- आप ही हमराज मेरे, आप ही सरकार हो..
ग़ज़ल
आप ही हमराज मेरे, आप ही सरकार हो।
आपसे खुशियां हमारी, खुशियों का संसार हो।।
गीत गज़लों में तुम्हीं हो, सप्त सरगम आपसे।
गीत हो तुम जिंदगी का, राग में मल्हार हो।।
मातमी जीवन हमारा, आपके आभाव में।
रोज़ उत्सव है तुम्ही से, तीज हो त्यौहार हो।
ख्वाब ऊँचे आसमाँ से, सागरी गहराइयाँ।
आपसे आधार मेरा, आप ही जरदार हो।।
है अँधेरों में ये जीवन, जिंदगी बर्बाद है।
थाम लो दामन मेरा अब, ‘कल्प’ बेड़ापार हो।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’
बह्र:- रमल मुसम्मन महज़ूफ
अरकान:- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
(2122 2122 2122 212)