गजल ….आँखों वाले अंधे देखे
****** आँखों वाले अंधे देखे
देश में बढते दंगे देखे
कपडों वाले नंगे देखे
जातिवाद के झगडों में
उघते घर घर चंदे देखे
अमीरों के बिस्तर पर लूटते
जिस्म बडे ही मंदे देखे
नाली के कीडों से ज्यादा
हमनें इंसा गंदे देखे
पूरे भेद मत खोलो “सागर”
आँखों वाले अंधे देखे !!
बैखोफ शायर …
डाँ. नरेश कुमार “सागर”
9897907490