” गगन से उतरी परियां माँ की , अंतरिक्ष को छू लें हम “!!
गणवेश किया है धारण ,
बस्ता पीछे लाद लिया है !
मास्टरजी का होमवर्क भी ,
हमने रट्टा मार लिया है !
धूलभरी राहें आतुर हैं –
स्वागत को अपने हमदम !!
हाथ थाम कर हाथों में ,
हमको राह नई गढ़ना है !
बाधाएं हैं कई सामने ,
हमको बस पढ़ना पढ़ना है !
खेल कूद में अव्वल आकर –
दिखलाना हमको दमखम !!
सबके सपने कांधे पर ले ,
मजबूत इरादे कर बैठे हैं !
अभी बहुत कुछ हासिल करना ,
कदम कदम पर सितम मिले हैं !!
सफलता कदम चूमने निकले –
यही प्रयास रखें हरदम !!
बृज व्यास