गगन भवन में घन हैं छाए
गगन भवन में घन हैं छाए
शीतल पवन संग लहराए ।
तपती धरती के आँचल में
हरा भरा संदेशा लाए ।
तरुवर बाग बाग मुस्काए
खेत क्यारी धान लहराए
गौरैया भी बैठ नीड़ में
नन्हें खग पर ममत्व लुटाए
कोकिल मीठे गीत सुनाए
मोर रँगीले पँख फैलाए
दादुर बोले बीच सरोवर
मेघ बरसने को हैं आए ।
डॉ रीता