Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2024 · 1 min read

गंभीर बात सहजता से

गंभीर बात सहजता से

बस ज्यों ही बिठमड़ा गाँव से निकल कर हिसार की ओर आगे बढ़ी।
बदरों ने उत्पात मचा रखा था। इनका उत्पात देखकर चालक-परिचालक बंदरों के बारे में चर्चा करने लगे।
“ये पैदल और साइकिल सवार को निकलने ही नहीं देते। घेर कर काटते हैं।..” चालक बोला।
”इनको कोई थोड़ा सा छेड़ दे, सभी एकजुट होकर हमला कर देते हैं। इनकी एकता भी सबसे अधिक है।” परिचालक ने बताया।
“एकता हो भी तो क्यों नहीं? ये अपनी तरह जाति-पांति, धर्म-मजहब, वर्ण-वर्ग, भाषा व क्षेत्र में नहीं बंटे।”
ग्रामीण सवारी ने गंभीर बात सहजता से कह दी।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
32 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आ जाये मधुमास प्रिय
आ जाये मधुमास प्रिय
Satish Srijan
पैगाम
पैगाम
Shashi kala vyas
मेरी आँखों में देखो
मेरी आँखों में देखो
हिमांशु Kulshrestha
तेरी नज़र से बच के जाएं
तेरी नज़र से बच के जाएं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बेटियां होती है पराई
बेटियां होती है पराई
Radha Bablu mishra
नेह का घी प्यार का आटा
नेह का घी प्यार का आटा
Seema gupta,Alwar
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
2772. *पूर्णिका*
2772. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" दोषी "
Dr. Kishan tandon kranti
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
विकास शुक्ल
बेवजह  का  रोना  क्या  अच्छा  है
बेवजह का रोना क्या अच्छा है
Sonam Puneet Dubey
"हम सभी यहाँ दबाव में जी रहे हैं ll
पूर्वार्थ
𑒖𑒲𑒫𑒢 𑒣𑒟 𑒮𑒳𑓀𑒠𑒩 𑒯𑒼𑒃𑒞 𑒁𑒕𑒱 𑒖𑒐𑒢 𑒮𑒿𑒑 𑒏𑒱𑒨𑒼 𑒮𑓀𑒑𑒲
𑒖𑒲𑒫𑒢 𑒣𑒟 𑒮𑒳𑓀𑒠𑒩 𑒯𑒼𑒃𑒞 𑒁𑒕𑒱 𑒖𑒐𑒢 𑒮𑒿𑒑 𑒏𑒱𑒨𑒼 𑒮𑓀𑒑𑒲
DrLakshman Jha Parimal
वो तो है ही यहूद
वो तो है ही यहूद
shabina. Naaz
झील किनारे
झील किनारे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ईश्वर की दृष्टि से
ईश्वर की दृष्टि से
Dr fauzia Naseem shad
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*वैराग्य के आठ दोहे*
*वैराग्य के आठ दोहे*
Ravi Prakash
😢विडम्बना😢
😢विडम्बना😢
*प्रणय*
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
गर तुम मिलने आओ तो तारो की छाँव ले आऊ।
Ashwini sharma
एक मधुर संवाद से,
एक मधुर संवाद से,
sushil sarna
न हँस रहे हो ,ना हीं जता रहे हो दुःख
न हँस रहे हो ,ना हीं जता रहे हो दुःख
Shweta Soni
श्रध्दा हो तुम ...
श्रध्दा हो तुम ...
Manisha Wandhare
अफसोस मुझको भी बदलना पड़ा जमाने के साथ
अफसोस मुझको भी बदलना पड़ा जमाने के साथ
gurudeenverma198
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
Kuldeep mishra (KD)
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
महाकाल हैं
महाकाल हैं
Ramji Tiwari
Loading...