गंगोदक सवैया छंद (२१२ × ८)
————————?जय माँ शारदे ?—————————
भारती गोमती पाणि वीणा सुनो भक्त द्वारे खड़ा भक्ति दे दो हमें।
पातकी मैं रहा पुण्य से था परे हाथ जोड़े खड़ा मुक्ति दे दो हमें।
मातु वाचा कहूँ पंथ तेरा गहूं प्रार्थना है यही शक्ति दे दो हमें।
नाश अज्ञान का वक्ष से मां करो भक्ति के भाव का युक्ति दे दो हमें।।
(०२)
गो-गिरा मातु हे!शास्त्र का सार दे ज्ञान दे दान से प्राप्त उत्कर्ष हो।
भाव भक्ति भरो बोध शक्ति वरो चक्षु को मातु का नित्य ही दर्श हो।
मां गिरा गोमती शारदा हे! इला शब्द हों सारथी पंथ आदर्श हो।
वेद लिखा पढूँ मंत्र भी मैं गढूं ज्ञान की ज्योति से वक्ष में हर्ष हो।।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’