*गंगा (मुक्तक)*
गंगा (मुक्तक)
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भगीरथ के कठिन तप की, मधुर पहचान है गंगा
उलझकर शिव-जटा में, स्वर्ग से प्रस्थान है गंगा
इसी के साथ जन-जन की, जुड़ी जीवन-मरण यात्रा
मिली कुदरत से, हिंदुस्तान को वरदान है गंगा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451