Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2023 · 1 min read

*गंगा (मुक्तक)*

गंगा (मुक्तक)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
भगीरथ के कठिन तप की, मधुर पहचान है गंगा
उलझकर शिव-जटा में, स्वर्ग से प्रस्थान है गंगा
इसी के साथ जन-जन की, जुड़ी जीवन-मरण यात्रा
मिली कुदरत से, हिंदुस्तान को वरदान है गंगा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 9761 5451

Language: Hindi
124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
आत्माभिव्यक्ति
आत्माभिव्यक्ति
Anamika Tiwari 'annpurna '
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
Ajit Kumar "Karn"
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
मेरा और उसका अब रिश्ता ना पूछो।
शिव प्रताप लोधी
मैंने, निज मत का दान किया;
मैंने, निज मत का दान किया;
पंकज कुमार कर्ण
चलो कुछ नया करते हैं
चलो कुछ नया करते हैं
AMRESH KUMAR VERMA
रास्ते
रास्ते
Ritu Asooja
आदमी
आदमी
अखिलेश 'अखिल'
Ever heard the saying, *
Ever heard the saying, *"You are the average of the five peo
पूर्वार्थ
उनसे कहना अभी मौत से डरा नहीं हूं मैं
उनसे कहना अभी मौत से डरा नहीं हूं मैं
Phool gufran
इंतजार
इंतजार
Mamta Rani
"मीलों चलकर"
Dr. Kishan tandon kranti
मोर मुकुट संग होली
मोर मुकुट संग होली
Dinesh Kumar Gangwar
■ ऋणम कृत्वा घृतं पिवेत।।
■ ऋणम कृत्वा घृतं पिवेत।।
*प्रणय प्रभात*
बुंदेली_मुकरियाँ
बुंदेली_मुकरियाँ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
चंदन का टीका रेशम का धागा
चंदन का टीका रेशम का धागा
Ranjeet kumar patre
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
दर्द का बस
दर्द का बस
Dr fauzia Naseem shad
मुहब्बत की दुकान
मुहब्बत की दुकान
Shekhar Chandra Mitra
पास आकर मुझे अब लगालो गले ,
पास आकर मुझे अब लगालो गले ,
कृष्णकांत गुर्जर
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
Madhuyanka Raj
सब से गंदे चुस्त चालाक साइबर चोर हैँ
सब से गंदे चुस्त चालाक साइबर चोर हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"आज का विचार"
Radhakishan R. Mundhra
* किसे बताएं *
* किसे बताएं *
surenderpal vaidya
4296.💐 *पूर्णिका* 💐
4296.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
Pratibha Pandey
इश्क़ हो
इश्क़ हो
हिमांशु Kulshrestha
सोचा था सन्तान ही,
सोचा था सन्तान ही,
sushil sarna
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
ख़ुदकुशी का एक तरीका बड़ा जाना पहचाना है,
ख़ुदकुशी का एक तरीका बड़ा जाना पहचाना है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...