खड़े हैं हम राह में
खड़े हैं हम राह में
**************
खड़े हैं हम राह में,
चले हैं हम चाह में।
हमे है दे रोशनी,
पले हैं हम वाह में।
पके गुढ़े रंग पर,
निशां मेरी बाँह में।
नही कोई छोड़ता,
जले तेरे दाह में।
हमे मनसीरत मिले,
झुके हैं दरगाह में।
***************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)