खड़े रह गए
गीतिका
बहर- 212 212 212 212
हम खड़े थे खड़े के खड़े रह गए।
क्यों अड़े थे अड़े के अड़े रहे गये?
राज जो भी कहो राज तो राज था
जो बड़े थे बड़े के बड़े रह गए।
हाथ पर हाथ धरकर रहे बैठ के
तो जड़े थे जड़े के जड़े रह गए।।
हमने उनको कहा था चलो जोर से
वो पड़े थे पड़े के पड़े रह गए।।
कौन कहता तुम्हें ऐठ करके जियो
ऐंठ कर सर गया बस धड़े रह गए।।