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22 Oct 2019 · 1 min read

ख्वा़हिश

जिंदगी के कुछ लमहे बीती यादों को समेट कर आ जाते हैं।लगता है बीते दिन फिर लौट आए हैं ।यादों का कारवां रफ्ता रफ्ता ज़ेहन पर छाता जाता है। बीते दिनके वो चेहरे फिर याद आते हैं। कुछ चेहरे वक्त की गर्दिश में फीके फीके से नजर आते हैं। पर कुछ चेहरे जो फना हो चुके हैं अपनी दर्द भरी कसक छोड़ जाते हैं। जिंदगी के इस दौर में सब कुछ पा जाने पर भी अपनी हस्ती बेमानी सी लगती है। लगता है अभी तक जो करना था ना कर पाया जो पाया जो खोया सब बेमानी था। जिंदगी भर अपनी हस्ती सँवारते अपने वजूद की खातिर दूसरों के वजूद को नकारते रहे । इस इस बात से अंजान कि मेरा वजूद उनके वजूद से ही है ।उन्हीं के करम से मेरी हस्ती कायम है ।सोचता हूं अभी वक्त है कुछ कर गुजरने का दूसरों का दर्द बांटने और अपनी खुशियों में उन्हें शामिल करने करने का जिससे इस सफर के इंतिहा मे सुँकु से फना हो सकूं ।जिससे मज़लूम ज़रूरतमंदों की दुआओ़ं का अ़सर मेरी रू़ह पर त़ारी हो।

Language: Hindi
Tag: लेख
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